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युवाओं का दर्द

सीमा रंगा “इन्द्रा”
जींद (हरियाणा)

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इन नौजवानों को देख लो जरा
समझ जाओ ना इनकी तकलीफ

रहते हरदम परेशान बेचारे
समझो ना इनकी बेचैनी तुम

गहराई में छुपे अश्रुओं को देखो तुम
खाम का ही बोलते हो दर्द नहीं होता इन्हें

उतर जाओ नैनों में इनके एक बार
दुख की परछाई को झांक लो जरा तुम

इनकी हंसी के पीछे छुपे गम जानो
तड़पते मन को मरहम लगा दो पूछकर

जिम्मेदारियों का वजन इन पर बहुत
कभी तो उठा लो तुम भार इनका

संभले, सुलझे लगे भले ही तुम्हें ये
गहराई में जा इनकी उलझ न जाना तुम

वक्त से पहले हो जवां उठा लेते जिम्मेदारियां
बेरोजगारी छीन लेती बचपन की हठखेलियां

खंडूस बोल दे ताने ना वार करो तुम
समझो गहराई, नरमी, मासूमियत इनकी

बना लो पहचान संग इनके तुम
समझ पीड़ा देख दर्द मिटा दो ना

परिचय :-  सीमा रंगा “इन्द्रा”
निवासी :  जींद (हरियाणा)
विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया।
उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से प्रशंसा पत्र, दैनिक भास्कर से रक्तदान प्रशंसा पत्र, सावित्रीबाई फुले अवार्ड, द प्रेसिडेंट गोल्स चेजमेकर अवार्ड, देश की अलग-अलग संस्थाओं द्वारा कई बार सम्मानित बीएसएफ द्वारा सम्मानित। देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित,कई अनपढ़ महिलाओं को अध्यापन।
प्रकाशन : सतरंगी कविताएं, काव्य संग्रह।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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