Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

ओंस सदृश है जीवन

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
********************

पत्तों और घास के ऊपर,
स्वर्णिम आभा पाता।
बनकर बूँद कनक सा दमके,
पानी ओंस कहाता।

जब जल वाष्प संघनित होती,
तभी ओंस बन जाती।
कभी बर्फ में यही बदलती,
तब पाला कहलाती।

घास पत्तियों रेलिंग छत पर,
ओस दिखाई देती।
सूर्य रश्मियाँ इस पर पड़तीं,
मोती आभा लेती।

सूरज से आभा पाती है,
नष्ट उसी से होती।
तेज धूप पड़ने के कारण,
अपना जीवन खोती।

ड्रोसोमीटर मापन इसका,
सही माप बतलाता।
अधिक शीत से बर्फ बने यह,
तब पाला कहलाता।

होती है भयभीत ओंस जब,
सूर्य रश्मियाँ आतीं।
बनकर बूँद बिखर जाती है,
ताप नहीं सहपाती।

दमक रही पत्तों के तन पर,
कुछ तारों पर झूले।
मोती की लडियों से दिखती,
पारिजात जयों फूले।

ओंस बूँद सा सबका जीवन,
लंबा कभी ना होता।
अल्प समय बर्बाद करे जो,
अपना जीवन खोता।

कभी प्यास ना बुझी किसी की,
ओंस चाट लेने से।
पंछी भला उड़ान भरे क्या,
पंख काट लेने से।

ओंस देख मन यही चाहता,
इनको घर ले जाऊँ।
सब बूँदों को पिरो पिरो कर,
माला एक बनाऊँ।

जैसे जुगनू जगमग करते,
ऐसे ओंस चमकती।
जब मद्धिम प्रकाश पड़ता है,
स्वर्णिम रूप दमकती।

सूरज मुझे मिटा देता है,
मैं विलीन हो जाती।
धरती माता के आँचल में,
चुपके से सो जाती।

निशा बीतते ही मैं फिर से,
पत्तों पर आ जाती।
हम सबको आना जाना है,
ओंस यही समझाती।

सबका जीवन ओंस सदृश है,
सबको आना जाना।
पल में मिले जिंदगी प्यारी,
पल भर में मिट जाना।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *