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उषा का आगमन

विवेक नीमा
देवास (मध्य प्रदेश)

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उषा का आगमन
नव चेतना का भाव है
अरुणोदय की बेला
फिर नया पड़ाव है

गगन में गूंज रहा
पंछी का कलरव
शबनम शरमा कर
हो रही है नीरव

पुष्प खिल उठे
अब हर गुलशन
नाच रहा अलि
नित होकर मगन

दरबारी के सुर से
सज्जित है धरती
आभा तिमिर का
हरण है करती

हल धर की हलचल
है खलिहानों में
मलय पवन बह
रही है मैदानों में

दीप्त दिशाओं में
मचा है शोर
मिहिर की आभा से
सज गया है भोर।

परिचय : विवेक नीमा
निवासी : देवास (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : बी कॉम, बी.ए, एम ए (जनसंचार), एम.ए. (हिंदी साहित्य), पी.जी.डी.एफ.एम
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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