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मैंने कहा था

अनुराधा शर्मा
रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
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मैंने कहा था, लड़का
बड़ा होके सहारा होगा।

बेटा समझ बैठा,
पैसे से ही गुज़ारा होगा।

अब सोने की छड़ी तो है,
पर सहारा मिलता नहीं।

मखमली बिस्तर तो है,
नींद आंखों में बसती नहीं।

खाने को लज़ीज़ पकवान है,
भूख़ लगती नहीं

पीने को मीठा पानी है,
प्यास बुझती नहीं।

टेहलने को बाग है,
मगर दिल बेहलता नहीं।

रहने को बंगला है,
पर वीराना दिल से जाता नहीं।

जी खुशियों का मंज़र चाहता है,
पर परिवार का इंतजाम नहीं।

मैंने कहा था, लड़का
बड़ा होके सहारा होगा।
बेटा समझ बैठा,
पैसे से ही गुज़ारा होगा।

परिचय : अनुराधा शर्मा
निवासी : रायगढ़ (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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