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अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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जब सौभाग्य उदय होता है,
घड़ी मिलन की आती।
पल-पल बढ़ती दिल की धड़कन,
दूरी सही न जाती।मधुर मिलन है प्रियतम तुमसे,
है उमंग निज मन में।
है रोमांच हृदय में मेरे,
जीवन के उपवन में।घड़ी मिलन की अति सुखदाई,
हर्षित करती मन को।
प्रमुदित हो मन मोर नाचता,
खुशी मिले जीवन को।मिलन प्यार को उपजाता है,
युगल प्रेम को जाने।
पाकर प्यार, युगल हो जाते,
गाते प्यार तराने।जब भी दिल में प्यार उमड़ता,
मन मयूर हर्षाता।
प्रेम हिलोरें उठती मन में,
मन प्रसून खिल जाता।उभय हृदय में प्रेम पल्लवित,
जब भी है हो जाता।
दाम्पत्य स्थिरता पाता,
प्रेम प्रकट हो जाता।बँधें प्यार के बंधन में जब,
अपनापन आ जाता।
जीवन की सूनी बगिया में,
मधुर प्रेम छा जाता।झुकी नजर सजनी की कहती,
दिल में उठी हिलोरें।
प्रियतम हैं नजदीक हमारे,
नाचे मन की मोरें।इंतजार भी मधुर मिलन में,
बाधक बन जाता है।
मधुर प्यार में जो डूबा वो,
साधक बन जाता है।विरह वेदना मधुर मिलन में,
पिय को बहुत सताती।
नजदीकी दोनों दिल चाहें,
दूरी सही न जाती।प्रेमी युगल साथ में रहकर,
झूला बाँह झुलाते।
प्रेम पगे शब्दों से दोनों,
बोले बिना बुलाते।एक दूजे के बिना युगल को,
नींद नहीं आती है।
जिस्मानी दूरी दोनों को,
कभी नहीं भाती है।युगल हृदय पावन होते हैं,
मन में मैल ना होता।
दो दिल एक जान हो जाते,
लगा प्यार में गोता।चकवा चकवी जैसे दोनों,
दूर नहीं रह पाते।
बेचैनी बढ़ती जाती है,
गीत मिलन के गाते।मन का मन से मिलन हमेशा,
सुखदाई होता है।
प्यार,वासना जब बन जाता,
दुखदाई होता है।ज्यों पावन जलधार गंग सी,
मधुर मिलन हो पावन।
दिल में हो बरसात प्यार की,
लोरी गाए सावन।
परिचय :– अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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