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तू बढ़ता चल

उषाकिरण निर्मलकर
करेली, धमतरी (छत्तीसगढ़)

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हरदम कोशिश करता चल।
बाधाओं से तू लड़ता चल।।
मन में रख विश्वास अटल।
तू बढ़ता चल, तू बढ़ता चल।।

अनवरत तू अभ्यास कर।
कमियों का आभास कर।।
फिर नया प्रयास करता चल।
तू बढ़ता चल, तू बढ़ता चल।।

अर्जुन सा लक्ष्य भेदन कर।
एकलव्य सा गुरुध्यान कर।।
एकाग्रता का पाठ पढ़ता चल।
तू बढ़ता चल, तू बढ़ता चल।।

बाधाएँ अनगिनत जो तुझे टोके।
पर्वत बन तेरा राह जो रोके।।
तू नदियाँ बनकर बहता चल।
तू बढ़ता चल, तू बढ़ता चल।।

धैर्य, उत्साह, साहस बटोर।
तूफानों को भी दे झकझोर।।
हौसला खुद में तू गढ़ता चल।
तू बढ़ता चल, तू बढ़ता चल।।

अपने लक्ष्य से परिचय कर।
अपनी जीत तू निश्चय कर।।
हर दिन नयी उड़ान भरता चल।
तू बढ़ता चल, तू बढ़ता चल।।

परिचय :- उषाकिरण निर्मलकर
निवासी : करेली जिला- धमतरी (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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