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पुरुष

श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
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विधाता ने रचा मुझे
स्त्री के स्वाभिमान ने संवरा
माँ की ममता भी है
है पिता का गौरव भी
पूरे संसार की सख्ती भी है मुझमें
खुद के ज़ज्बात भी छुपा लेता हूँ
रो मैं नहीं सकता,
हर कुछ सह भी नहीं सकता
ऊपर से शिला हूँ मैं,
पर भीतर से हूँ मोम
मैं हूँ एक “पुरुष”….

परिवार, समाज,
देश का जिम्मेदार हूँ
हर पल हर समय
के लिए मददगार हूँ
सबके सपनों का आधार हूँ
किन्तु खुद के सपने
बुनने का गुनाहगार भी हूँ
क्युकी मैं हूँ एक “पुरुष”…
पाँव थकते हैं तो क्या,
थकान होती भी है तो क्या
पत्नी की उम्मीद हूँ,
बच्चों का हूँ भाग्यविधाता
कर्म करता चल रहा हूँ,
सबकी सुखद मुस्कान के लिए
कर्मशील, धर्म-परायण,
हर पल ध्यानी हूँ
मैं हूँ एक “पुरुष “!…
बहुत अधिक कुछ नहीं
लिखा मेरे बारे में
पर इस सृष्टि की रचना का
रचनाकार हूँ मैं
हर जीवन का आधार हूँ मैं
मुझको चलते रहना है
हरदम क्योंकि सबकी बुनती
आशाओं का मीनार हूँ
मैं हूँ एक गौरवशाली “पुरुष”…!!

परिचय :- श्रीमती क्षिप्रा चतुर्वेदी
पति : श्री राकेश कुमार चतुर्वेदी
जन्म : २७ जुलाई १९६५ वाराणसी
शिक्षा : एम. ए., एम.फिल – समाजशास्त्र, पी.जी.डिप्लोमा (मानवाधिकार)
निवासी : लखनऊ (उत्तर प्रदेश)
विशेष : साहित्यिक पुस्तकें पढ़ने के शौक ने लेखन की प्रेरणा दी और विगत ६-७ वर्षों से अपनी रचनाधर्मिता में संलग्न हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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