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मर्यादा

रुचिता नीमा
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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इतिहास गवाह है, जब-जब तोड़ी गई है मर्यादा
लेकर आई है धरती पर एक नए युग की परिभाषा

रावण ने तोड़ी जब मर्यादा, सर्वनाश हुआ था असुरों का
दुशासन के दुष्कृत्य से विध्वंश हुआ फिर कौरव का

मर्यादा पालन कर श्री राम मर्यादा पुरुषोत्तम कहलाए
श्री कृष्ण गीता के द्वारा, मर्यादा की सीमा बता गए

समुद्र भी रहे मर्यादा में जब तक, शरण जीवों को देता है
जब तोड़ता है मर्यादा तो, विध्वंश का रूप ले लेता है।

मन भी हमारा मर्यादा में रहकर ही कर्तव्य निभा सकता है
अगर भटकाव हो ज्यादा तो, जीवन व्यर्थ फिर होता है।

परिचय :-  रुचिता नीमा जन्म २ जुलाई १९८२ आप एक कुशल ग्रहणी हैं, कविता लेखन व सोशल वर्क में आपकी गहरी रूचि है आपने जूलॉजी में एम.एस.सी., मइक्रोबॉयोलॉजी में बी.एस.सी. व इग्नू से बी.एड. किया है आप इंदौर निवासी हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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