Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

नीनू चली जादू नगरी

सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
********************

दीवाली के लिए मम्मा ने गुजिया लड्डू बनाकर ऊँची रेक पर रख दिए। नीनू सोचने लगी मैं गुड़िया बहियन की छोटी गुजिया केही विधि पाऊँ? लेकिन उसके सारे प्रयास विफ़ल।
नीनू ललचा कर माँगती है, “बस एक गुजिया दो ना मम्मा, सच्ची बस एक ही।”
माँ फटकार लगा देती है, “बिलकुल नहीं, सब भोग के बाद।”
नीनू मिठाई का सोचते-सोचते निंदिया रानी की दुलारी हो जाती है। वह जादू की नगरी में पहुंच जाती है।
वहाँ देखती है…वह एक अनूठे पार्क में नितांत अकेली चहलकदमी कर रही है। पेड़ो पर फलों के साथ मिठाइयाँ भी लटक रही हैं। रसगुल्ले, जलेबी, गुलाबजामुन आदि-आदि और उसकी मनपसन्द रंगबिरंगी टॉफियाँ। नीनू की तो बल्ले-बल्ले हो जाती है। वह सोचती है, पहले सब देख लूँ, फिर खाने का इंतज़ाम करती हूँ।
ज्यों ही वह सामने देखती है, “अहा ! शिकंजी के ताल में इमरती की नौका, मजा आ गया।” नीनू झट से कुल्फियों की पतवारें थाम सोचती है, काश! सहेलियां भी साथ होती।
नीनू ऊपर देखकर चिल्ला पड़ती है, “अहा ! आसमान है कि महकते दूध का बड़ा सा कटोरा। अरे ! ये तारे थे सारे, रसगुल्ले कैसे बन गए ?”
आगे देखती है एक बड़ा सा चोक… उस पर टाइल्स की जगह उसकी पसंदीदा काजू कतलियाँ बिछी पड़ी है। वह समझ नहीं पाती कि कहाँ से शुरु करूँ?
अब नीनू सोचती है कि आराम से एक-एक करके मिठाइयाँ खाती हूँ। काश ! सब दोस्त साथ होते तो मस्ती में चार चाँद लग जाते। ऊपर चाँद भी उसे रसमलाई का कटोरा नज़र आ रहा है। अब वह क्या खाए और क्या छोड़े?
तभी उसे लगता है कोई परी आकर उससे कह रही है, “चलो नीनू मैं तुम्हें खिलाती हूँ।” अरे यह क्या …मम्मा की आवाज़ ! हाँ ये तो मम्मा ही कह रही है उसे झंझोड़ झंझोड़ कर, “मेरी गुड़िया उठो ! पूजा करना है ना। अरे गुजिया नहीं खाना क्या?”
नीनू बेचारी आँखें मलती भागती है बाथरूम की ओर।

परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *