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हे सुंदर निशि

दिनेश कुमार किनकर
पांढुर्ना, छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
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ना धोवो मुख अपना,
शीतल ज्योत्सना से।
तमस की काया लिये,
लगती तुम सुंदर निशि।……

थके हुए तन मन लिये,
खोते जो सपनो में।
गोद तुम्हारी पाकर,
पाते स्फूर्ति तनो में।
करते विदा रवि तुम्हे
जब आते प्राची दिशि।
तमस की काया लिये,
लगती तुम सुंदर निशि।…..

ले मलिनता पुष्पो से,
देती तुम उन्हें शांति।
तारो ने भी तुमसे,
पाइ हैं टिम टिम कांति।
सकुचा क्यों जाती हो,
छाते जब नभ में शशि।
तमस की काया लिए,
लगती तुम सुंदर निशि।……

परिचय –  दिनेश कुमार किनकर
निवासी : पांढुर्ना, जिला-छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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