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रोके ना रुके अखियाँ

उषा बेन मांना भाई खांट
अरवल्ली (गुजरात)
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रोके ना रुके अखियाँ
बस तुमको ही देखना चाहें अखियाँ,
तुमसे दूरी अखियों को
काँटों की तराह चुभती हैं।
तुम्हें किसी और के साथ
देख के जलती हैं अखियाँ…..।

मेरी आँखों मे तुम बसे हों
मेरी सासो मे तुम ढले हो,
मेरी आँखों को तुम्हें देखने की आदत है
एक बात कहु ? क्या ईजाजत हैं ?
मेसेज तुम करते नही,
बात तुम करते नही ,
मेरे मेसेज का जवाब नही देते
फिर कैसे कहते हो प्यार करता हु….।

अपनी इस आदतो को सुधारों
मेरी अखियों की शिकायतो को दूर करो
प्यार करते हो तो प्यार को जताओ
हमारे रिश्तें को अटूट बनाओ…
अपनी अखियों में मुझको बसाओ
बेपनाह प्यार जताओ
मुझे अपने घर की लक्ष्मी बनाओ
हमारा एक छोटा सा घर-संसार बसाओ
मेरी खुली आँखों के सपने को पुरा करो
बस यही चाहती हैं मेरी अखियाँ….।

रोके ना रुके अखियाँ
बस तुमको ही देखना चाहें अखियाँ …..।

परिचय :- उषा बेन मांना भाई खांट
निवासी : वालीनाथ ना मुवाडा, जिला- अरवल्ली (गुजरात)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ की रचना पूर्णतः मौलिक है।


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