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दिवाली वक्तव्य प्रकटीकरण

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।

सत्ता संग खेला करते हैं नूरा कुश्ती
आरोप अफवाह से भरा तमाशा है

सता विपक्ष अंदर बाहर खेल कबड्डी
मौका पाते ही भरपूर लगे तमाचा है

काली गोरी चमड़ी सबका लोकतंत्र
बेशर्म मोटी चमड़ी कुचक्र चलाती है।

सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।

संस्कार विकास कदमों की खातिर
व्यक्तित्व प्रशिक्षण के विषय बनाए

प्रभावी भाषण कला के बदले अब
कुतर्क नजारा निरंतर दर्शाता जाए

बड़े सफेदपोश की बोलियां सुनकर
भाषण कला बेभाव जहां शर्माती है

सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।

खुद के निर्णय कथन का युग देखते
सुनते ही रहिए बस आत्म प्रवंचना

बड़बोले खुद अपना संसार हैं रचते
श्रेष्ठतम मनवाने में वक्तव्य विडंबना

छिपी कहां बोली की संजीवनी बूटी
जो बंधु प्रेम में मानवता झलकाती है

सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।

अहम के स्वामी रावण कंस के नाम
अब भी विचरते हैं अनेक शिशुपाल

पांचाली की हंसी ठहाके का प्रभाव
महाभारत बुनियाद बन गई तत्काल

जीवन का निःस्वार्थ सदभाव हमेशा
त्रेता द्वापर संवाद स्वाद समझाती है

सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।

साधारण मानव जीवन भी अनमोल
बड़े भाग्य से जो हम सबने ही पाया

दीपोत्सव का वर्तमान ही अहोभाग्य
कभी राम अस्तित्व का प्रश्न उठाया।

प्रकाश अंधकार जीवन के पथगामी
पतझड़ ही बसंत आभास दिलाती है।

सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।

इतिहास गवाही बनता वर्तमान का
बुरे बोल चटकारों को कोसा जाता

अंधकार हटाने सम्राट बनी दिवाली
गर्व जयकारों से सुख पोसा जाता।

दिव्य दिवाली और भव्य भावना ही
वक्तव्यों का प्रकट बोध करवाती है।

सत्ता आए जाए, क्रिया कह जाती है।
संवाद ढंग से प्रतिक्रिया रह जाती है।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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