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उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने

रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
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उजाड़ दिये हैं बहुत सारे घर इस शराब ने
मयखानों में खो गई  है जिंदगी अब तो उसकी,
लाखों की पी गया जो अब तक शराब वो यहांँ,
आता है हर रोज़ शराब के नशे में घर अपने वो,
बच्चे- पत्नी रहते हैं डर के  साये में उसके यहांँ,
खुद का  होश  ना उसे पता अपने शरीर का,
लड़खड़ाते कदमों से चला आता है वो यहांँ,
रहने को ढंग का घर नहीं बनाया उसने अब तक,
फिर भी नशें से  दिल लगाता है वो हर दिन यहांँ,
बना ना सका बच्चों के नहाने,शौच की जगह वो,
बस पीने का ही ख़्याल  रहता है उसको तो यहांँ,
जिंदगी नर्क बना ली अपनी व बच्चों की उसने,
संगती में  रख रखे हैं  अपने जैसे दो- चार यहांँ,
उजाड़  दिये  है  बहुत  सारे घर इस शराब ने,
देखता है वो हर तरफ ना सोचता अपने बारे में यहांँ

परिचय : रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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