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बापू के प्रति

डॉ. भोला दत्त जोशी
पुणे (महाराष्ट्र)
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जनक थे भारत के मोहन
दास भारती माता के,
सतत कर्म से करमचंद तुम
राष्ट्र गीत गा गांधी थे।

दिला आजादी भारत भू को
स्वयं की आंखें मूंद ली,
जिन्ना ने बंटवारा कर
थी मझधार में कश्ती डाली।

तुम तो चले गए हो बापू
अपने कर्म से जग के पार,
फट रहे हैं आज बारूद
तेरे पूत हैं विकट द्वार।

गांधी ! भारत त्रस्त था
तुमने पथ प्रशस्त किया,
अहिंसा की अद्भुत लाठी से
फिरंगी को आगाह किया।

सत्य ,अहिंसा, लोकसेवा
तीन ध्येय थे रत्न तेरे,
मांस मदिरा बिना स्पर्श के
मातृ आज्ञा पालन की रे।

वकालत को वृत्ति बनाकर
दक्षिण अफ्रीका गमन किया,
बीस वर्ष तक लड़ते-लड़ते
जातिवाद बहु विरोध किया।

भारत वापस आकर तुमने
अहिंसा बल का प्रयोग किया,
हिंदी संपर्क सूत्र बनाकर
आजादी का बिगुल बजा दिया।

तुमने हमें सूत्र दिया
नमक बनवा चरखा कतवाया,
आजादी के पहले ही
आत्म निर्भरता तंत्र दिया ।

ईश्वर पर विश्वास दृढ़ था
चरित्र निर्माण में सावधान,
कर्मठता की मूर्ति थे तुम
भारत मां के सपूत महान।

परिचय :-  डॉ. भोला दत्त जोशी
निवासी : पुणे (महाराष्ट्र)
शिक्षा : डी. लिट. (केंद्रीय मध्य अमेरिकी विश्वविद्यालय, बोलिविया)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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