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हर बार अंदाजा सही नहीं होता

सीमा रंगा “इन्द्रा”
जींद (हरियाणा)

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रेल अपनी स्पीड से चली जा रही थी। परन्तु रमा की टिकट कन्फर्म नहीं हुई थी परन्तु उनका जाना बहुत जरूरी था इसलिए रमा अपने तीन बच्चों के साथ बिना टिकट कन्फर्म ही ट्रेन में चढ़ गए थे। सोचे हो ही जाएगी, पर बैठने के बाद पता चला टिकट कन्फर्म नहीं हुई। टीटी ने उन्हें सीट पर बैठने को कहा,जैसे ही बैठे एक महिला ने कहा ये हमारी सीट है बड़े ही रोब से ।बेचारी को कुछ राहत मिली ही थी। उसे क्या पता था कि उसकी खुशी बस कुछ ही पल की थी।एक आस लगाए टकटकी लगाए उसी महिला को बार -बार इस उम्मीद में निहार रही थी कि शायद वह अपनी एक सीट हमें दे दें क्योंकि उसके दो बच्चे थे और एक बच्चा लगभग 4 साल का था ।उसकी मां ने उसे पास ही अपनी सीट पर सुला रखा था ।पर उन्होंने चार सीट बुक करवा रखी थी। 3 सीटों पर ही बैठे थे चौथी सीट खाली थी। रमा ने जैसा सोचा था ऐसा कुछ नहीं हुआ उस महिला ने उसकी तरफ मुड़ के देखा भी नहीं ,उसी की बगल वाली सीट पर एक आदमी काफी देर से रमा को घूरे जा रहा था ।रमा बार-बार उसे देखकर अपनी नजरें झुका मन ही मन बुदबुदा रही थी। कैसा आदमी है कब से घूरे जा रहा है शर्म नहीं आती है ऐसे लोग बुरे ही होते हैं ।
क्योंकि वह आदमी देखने में ऐसा लग रहा था शायद कई दिन से नहाया नहीं था। उसके कपड़े भी बहुत मैले- कुचैले थे ।ऐसा करते-करते ट्रेन ने कब गति पकड़ ली और रात्रि का समय कब हो गया रमा को आभास ही नहीं हुआ।
वह आदमी अपनी सीट से उठकर आया और बोला बहन जी आप मेरी सीट पर आकर बैठ जाए ।आप ऐसे कब तक बच्चों का हाथ पकड़े खड़ी रहेंगी।रमा का तो जैसे खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा था और वह धन्यवाद करते हुए शर्म के मारे गर्दन नीचे किए हुए और अपने तीनों बच्चों को सीट पर बैठा दिया और खुद भी बैठ गई ।
आदमी ट्रेन के दरवाजे पर जाकर खड़ा हो गया ।रमा लगातार उसे ही देखे जा रही थी । जैसे-जैसे ट्रेन अपनी रफ्तार पकड़ती जा रही थी रमा के अंदर भी प्रश्नों का भूचाल आ रहा था। मन ही मन सोच रही थी कि मैंने इनके कपड़ों को देखकर और इनके हाल को देखकर अंदाजा लगा लिया था कि यह कोई अपराधी प्रवृत्ति का आदमी है ,परंतु मेरा अंदाजा बिल्कुल गलत निकला और मुझे अब अपनी सोच पर बहुत शर्म आ रही है। आज जब भी रमा को ट्रेन यात्रा की याद आती है तो हर बार रमा यही सोचती है कि हर बार हमारा अंदाजा सही नहीं होता।

परिचय :-  सीमा रंगा “इन्द्रा”
निवासी :  जींद (हरियाणा)
विशेष : लेखिका कवयित्री व समाजसेविका, कोरोना काल में कविताओं के माध्यम से लोगों टीकाकरण के लिए, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ हेतु प्रचार, रक्तदान शिविर में भाग लिया।
उपलब्धियां : गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड से प्रशंसा पत्र, दैनिक भास्कर से रक्तदान प्रशंसा पत्र, सावित्रीबाई फुले अवार्ड, द प्रेसिडेंट गोल्स चेजमेकर अवार्ड, देश की अलग-अलग संस्थाओं द्वारा कई बार सम्मानित बीएसएफ द्वारा सम्मानित। देश के अलग-अलग समाचार पत्रों में रचनाएं प्रकाशित,कई अनपढ़ महिलाओं को अध्यापन।
प्रकाशन : सतरंगी कविताएं, काव्य संग्रह।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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