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दो अक्टूबर दो पुष्प

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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भारत-भू पर दो अक्टूबर।
दो पुष्प अवतरित हो।
भारत उपवन में खिले।
पहले लाल बहादुर शास्त्री।
दूजे महात्मा गांधी।
दोनों पावन आत्माएं।
भारत-भू पर श्रेष्ठ कर्म।
करने आई, दोनों महान।
विभूतियां दोनों का व्यक्तित्व।
अद्भुत गुणों की खान।
लाल बहादुर शास्त्री।
विनम्र स्वभाव धनी।
गुदड़ी के लाल।
जय जवान जय किसान।
नारा लगा दोनों का सम्मान।
सदा किया।
गांधीजी चले सत्य।
अहिंसा मार्ग बापू कहलाए।
करो या मरो नारा अपना।
मौन रह सत्याग्रह कर।
भारत स्वतंत्र करावाएं।
अंग्रेजों की गुलामी से।
अंग्रेजों को भारत से बाहर।
खदेड़ भारत बापू बन गए।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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