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ठहाके जनकपुर में

किरण पोरवाल
सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
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जनकपुरी में सखी करें मजाक,
राम लखन से करें तकरार।
दशरथ के घर एक अचंभा?
बिना पिता के भये संतान,
खीर खाए पैदा बेटा भये,
एक नहीं चार चार महाराज।।

सखी सहेली करे ठिठोली,
गजब खीर से हुए हैं पुत्र रत्न,
दशरथ घर भयी संतान।
हंसी मस्करी कर लक्ष्मण मुस्काने,
गजब अचंभा जनक के घर का,
हमरे तो माता के भय ललना,
तुमरे जनक में नहीं माता-पिता से,
पैदा भयी देखो संतान।।

तुम्हारे यहां तो धरती उपजे है,
खेती कर निबजे संतान।
ले ठहाका लक्ष्मण मुस्काने,
राम लला मंद-मंद मुसकाने,
सखियों के चेहरे कुमलाने,
सखी राम सब करें मजाक,
जनकपुर में गारी खावे हे राम।
“किरण विजय” कहे जनक सखी यू,
हंसी-खुशी रहे युगल जोड़ी सरकार।।

परिचय : किरण पोरवाल
पति : विजय पोरवाल
निवासी : सांवेर रोड उज्जैन (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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