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क्या लिखूँ

देवप्रसाद पात्रे
मुंगेली (छत्तीसगढ़)

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काली कजरारी तेरी
आंखों को लिखूँ। या
फना होता तुम पे
अपनी हालातों को लिखूँ।
क्या लिखूँ?

लटकती कानों में
बाली को लिखूँ। या
रसभरी होंठों की
लाली को लिखूँ।
क्या लिखूँ?

मेहंदी से सजे खूबसूरत
हाथों को लिखूँ। या
कोयल सी मीठी
बातों को लिखूँ।
क्या लिखूँ?

पहाड़ियों में बसा
तुम्हारा गांव लिखूँ। या
तेरी घनी बिखरी
बालों का छांव लिखूँ।
क्या लिखूँ?

छन-छन करती तेरी
पायल की झनकार लिखूँ। या
तीर नजरों से घायल
सीने के आर-पार लिखूँ।
क्या लिखूँ?

चाहता हूँ दिल की
अपनी हर बात लिखूँ।
सपनों के सागर में डूबा
अपना जज्बात लिखूँ।।
और क्या लिखूँ?

दे दो हाथों में हाथ फिर
एक नया आगाज लिखता हूँ।
मिला दो सुर में सुर फिर
एक नई आवाज लिखता हूँ।।

परिचय :  देवप्रसाद पात्रे
निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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