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श्रम

दिति सिंह कुशवाहा
मैहर जिला सतना (मध्य प्रदेश)
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श्रम पूजा श्रम ईश्वर श्रम ईश्वर का रूप
कर्म विधान श्रमिक तु ईश्वर का प्रतिरूप।।

पत्थर फोड़े नहरें खोदी खोद रहा खदान
गगन चुंबी इमारतों में चढ़ करता विश्व से आह्वान।।

जलते पग जलती भू जल रहा आकाश
पानी की एक एक बूंद को ढूंढ रहा हताश।।

जलता ज़मीर जलता ख़्वाब पिस रहा लाचार
भाग्य के हम भाग्य विधाता श्रम करता प्रतिगान।।

जलते अंगारों में सुसज्जित निर्धन का गलियार
जर्रे जर्रे मर मर कर श्रम करता फरियाद।।

श्रम जीवन का मार्ग प्रशस्त करता काया कल्प
शोषक शासक नाम मात्र का करता राजतंत्र।।

शोषित शोषण के अंधकार में जलता निमग्न
काम ऐश्वर्य के पूर्ण अर्थ से देश बना विपन्न।।

लोकतंत्र के शासन में नीति दलों का द्वंद
देश की अर्थ व्यवस्था दाव में जलमग्न।।

परिचय : दिति सिंह कुशवाहा
जन्मतिथि : ०१/०७/१९८७
शिक्षा : एम.ए. हिंदी साहित्य
पिता : रामविशाल कुशवाहा
पति : सत्य प्रकाश कुशवाहा
निवासी : मैहर जिला सतना (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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