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शहीद भगत सिंह

देवप्रसाद पात्रे
मुंगेली (छत्तीसगढ़)

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होंठो पर मुस्कान, हथेली में लेकर जान।
वीरों के वीर शहीद भगत सिंह महान।

निकल पड़े थे अकेले दुश्मनों को हराने।
बचपन से ही सिर्फ आजादी के दीवाने।।
रग-रग में भरी थी साहस चलते सीना तान के।
मौत से कभी न डरा, जीते थे जो शान से।।

जीवट, जुनूनी व एकाकी भावना।
देश पर फ़ना होने को ठाना दीवाना।
वीर भगत सिंह की मूँछो पर ताव।
गोरे दुश्मन को करते रहे थे घाव।।

बाँध चले थे जो सिर पर कफन।
जोश-ए-जुनून से लबरेज क्रांतिकारी।
वीर भगत सिंह, राजगुरु, सुकदेव।
तीनों वीर अंग्रेजी हुकूमत पर भारी।।

असेम्बली में बम फेंका,
सलाखों को सीने से लगाया।
खुद को देश पर कुर्बान किया,
हर सीने में देशप्रेम जगाया।।

खून में था देशभक्ति का जज्बा,
नारा था साम्राज्यवाद मुर्दाबाद।।
वतन कि फिजां में आज भी गूँज रही है।
भगत सिंह जिन्दाबाद, इंकलाब जिंदाबाद।।

परिचय :  देवप्रसाद पात्रे
निवासी : मुंगेली, (छत्तीसगढ़)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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