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तेरा चमक रहा दरबार

हरिदास बड़ोदे “हरिप्रेम”
गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)
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“मैया तेरे दरबार की,
धूल का मैं एक टुकड़ा,
हरि नाम दास हूं बड़ा,
सुनले मेरा दुखड़ा”
तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा…।।

गड़ ऊंचे मंदिर मैया विराजी,
नवरूपों में सजी महारानी।
सज रहे गांव गली चौराहे,
नवरूपों में झांकी विराजी।
देखो चल रहा जागरण ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा।
तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा…।।

“सुन ले मेरा दुखड़ा मैया,
थोड़ा ना कर इंतजार,
बेचारा नही मैं लाल हूं,
मुझपर कर उपकार”
तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा…।।

नंगे-नंगे पांव मैं चलकर आया,
ऊंची-ऊंची सीढ़ियां मैं चढ़कर आया।
धूपबाती की ज्योत जलायी,
लाल रोली का तिलक लगाया।
देखो भक्त करे जयकारा ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा।।
तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा…।।

“आ गई माता रानी
मुझ पर करने उपकार,
पांव पकड़ मैने कहा
मेरा कर दे बेड़ा पार”
तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा…।।

सुनले पुकार मेरी दुर्गे भवानी,
कर देना दूर तू विपदा हमारी।
चरणों में रहे हम सदा तुम्हारे,
हाथ जोड़ करूं वंदना तुम्हारी।
देखो झूम रहा भागवत पंडा ओ मैया,
लग रहा भक्तो का डेरा।
तेरा चमक रहा दरबार ओ मैया
लग रहा भक्तो का डेरा…।।

परिचय :-  हरिदास बड़ोदे “हरिप्रेम”
निवासी : गंजबासौदा, जिला- विदिशा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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