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रामधारीसिंह दिनकर

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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दिनकर कवि बङे निराले।
बिहार भू जन्मे।
मानो गगन मध्य दिनकर।
उदित धरा पर अपनी अरुणिमा।
फैला ऊषा का अभिनन्दन करें।

जाके तात रवि अरू माता।
मनरूप, दिनकर अल्पायु में ही पितु।
छत्रछाया से हुए विलग।
वेदना की बदली छाई।
स्नातक पश्चात शिक्षा हुई।
अवरूद्ध।

हुए आरुढ़ विविध पदों पर।
प्रधानाचार्य पद पाया।
हिंदी विभाग के उपकुलपति।
संसद के राज्यसभा सदन सदस्य भी भए।
दिनकर की कलम कमाल।

दिन प्रतिदिन दिखाती चली।
हिंदी सलाहकार बने।
असंख्य अनमोल रचनाएँ।
रच-रच दिनकर कलम ने।
रचनाओं के खजाने बनाएँ ।

जिनमें मुख्य रचना रेणुका।
हुँकार, कुरुक्षेत्र महाकाव्य।
नाम अपार छाया।
भारत सरकार से पद्मभूषण पदवी,
ज्ञानपीठ पुरस्कार पाया।

दिनकर उर अपार हर्ष छाया।
दिनकर कवि की कविताएं।
बङी निराली आज भी सबके।
उर उमंग संग भा आनंद लाया।
ऐसी लेखन कला के धनी रामधारीसिंह।
दिनकर कालांतर राष्ट्र कवि।
दिनकर कहलाए।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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