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प्रेम

राजीव डोगरा “विमल”
कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
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प्रेम उम्र नहीं
एहसास देखता है।
प्रेम लगाव नहीं
तड़प देखता है।
प्रेम मुस्कुराहट नहीं
आंखों में बहते
अश़्क देखता है।
प्रेम हमउम्र नहीं
हमराही देखता है।
प्रेम बहस नहीं
झुकाव देखता है।
प्रेम बहता हुआ पानी नहीं
जलती हुई आग देखता है।
प्रेम ह्रदय का रूप नहीं
चेहरे का महकता
स्वरूप देखता है।

परिचय :- राजीव डोगरा “विमल”
निवासी – कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)
सम्प्रति – भाषा अध्यापक गवर्नमेंट हाई स्कूल, ठाकुरद्वारा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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