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बुजुर्गो की दशा

रामसाय श्रीवास “राम”
किरारी बाराद्वार (छत्तीसगढ़)

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मुक्तक

बुजुर्गो की दशा देखो,
हुई कैसी लाचारी है।
जीवन के इस अवस्था में,
परेशानी भी भारी है ।।
बड़े मजबूर रहते हैं,
ये कितने कष्ट सहते हैं।
स्वंय का बोझ ढोते हैं,
मगर हिम्मत न हारी है।।

सताता है अकेला पन,
मगर रहते अकेले हैं।
जीवन में जो भी गम आया,
सभी हंस कर ये झेले हैं।।
बड़े खुद्दार होते हैं,
भले छिपकर ये रोते हैं।
नहीं कोई काम है आता,
यही दुनिया के मेले हैं।।

खपाई उम्र ये पूरी,
सदा जिन पर हैं ये अपने।
सदा करते रहे पूरे,
उन्ही लोगों के ये सपने।।
नहीं अब पास वो इनके,
रहम पर जो रहे इनके।
चलन कैसा है अब आया,
पराए हो गए अपने।।

परिचय :- रामसाय श्रीवास “राम”
निवासी : किरारी बाराद्वार, त.- सक्ती, जिला- जांजगीर चाम्पा (छत्तीसगढ़)
रूचि : गीत, कविता इत्यादि लेखन
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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