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शिक्षक सम्मान

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
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आजीवन ना भूलना, शिक्षक वृंद महान।
शिक्षा ज्ञान सीख मिली, छात्र चढ़े परवान।।

जिनका ऋण अदा नहीं, ऐसा है अवदान।
गुरु दक्षिणा में मिली, राहों की पहचान।।

परिपक्वता सतत बढ़े, परख और व्यवहार।
जीवन पड़ाव को मिला, सुंदरतम साकार।।

शिक्षकगण को मानते, मोती का ही रूप।
गोता बल लगता जहां, पाए भी अनुरूप।।

एक दिन का मान नहीं, जीवन भर अभिमान।
गुरु बनते जो आपके, सुखद लक्ष्य का ध्यान।।

गुरु ज्ञान सम तत्व का, दिल से है आभार।
सत्य राह जो भी चले, शिक्षक पर उपकार।।

शब्द संयोजन कम पड़े, जय गुरुवर बखान।
सच्चे दिल से शब्द झरे, होगा गुरु सम्मान।।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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