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मेरा है सम्मान तिरंगा

प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
मंडला, (मध्य प्रदेश)
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आन लिए फहराता नित ही,
मेरा है सम्मान तिरंगा।
शान सजा शुभ-मंगल लाता,
सच में नवल विहान तिरंगा।।

बलिदानों ने रंग दिखाए,
तब हमने आज़ादी पाई।
जला-जलाकर वस्त्र विदेशी,
सबके तन पर खादी आई।
सम्प्रभुता को धारण करता,
मेरा है अरमान तिरंगा।
शान सजा शुभ-मंगल लाता,
सच में नवल विहान तिरंगा।।

शौर्य सिखाता रंग केसरी,
श्वेत सादगी की बातें।
हरा हमें देता हरियाली,
वैभव की नित सौगातें।।
चक्र भारती की जय करता,
हरदम है गुणगान तिरंगा।।
शान सजा शुभ-मंगल लाता,
सच में नवल विहान तिरंगा।।

जय जवान का नारा लब पर,
जय किसान का गान हो।
लोकतंत्र का मान रहे नित,
सद्भावों की आन हो।।
तीन रंग की शोभा न्यारी,
जाने सकल जहान तिरंगा।
शान सजा शुभ-मंगल लाता,
सच में नवल विहान तिरंगा।।

सीमाओं की शान बढ़ाता,
जन-गण-मन की आन निभाता।
गीत विजय के गाता है नित,
नर-नारी में आस जगाता।।
सकल विश्व में सबसे प्यारा,
लाया नवल विधान तिरंगा।
शान सजा शुभ-मंगल लाता,
सच में नवल विहान तिरंगा।।

परिचय :- प्रो. डॉ. शरद नारायण खरे
जन्म : २५-०९-१९६१
निवासी : मंडला, (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.ए (इतिहास) (मेरिट होल्डर), एल.एल.बी, पी-एच.डी. (इतिहास)
सम्प्रति : प्राध्यापक व विभागाध्यक्ष इतिहास/प्रभारी प्राचार्य शासकीय जेएमसी महिला महाविद्यालय
प्रकाशित रचनाएं व गतिविधियां : पांच हज़ार से अधिक फुचकर रचनाएं प्रकाशित
प्रसारण : रेडियो, भोपाल दूरदर्शन, ज़ी-स्माइल, ज़ी टी.वी., स्टार टी.वी., ई.टी.वी., सब-टी.वी., साधना चैनल से प्रसारण।
संपादन : ९ कृतियों व ८ पत्रिकाओं/विशेषांकों का सम्पादन। एम.ए.इतिहास की पुस्तकों का लेखन
सम्मान/अलंकरण/ प्रशस्ति पत्र : देश के लगभग सभी राज्यों में ७०० से अधिक सारस्वत सम्मान/ अवार्ड/ अभिनंदन। म.प्र.साहित्य अकादमी का अखिल भारतीय माखनलाल चतुर्वेदी अवार्ड (५१०००/ रु.)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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