Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

प्रणय दान … भाग- २

तेज कुमार सिंह परिहार
सरिया जिला सतना म.प्र.
********************

द्वितीय भाग

बेटा पयपान करते-करते सो गया मा अपने काम मे लग गयी। संयुक्त परिवार में घर के बहुत काम हो जाते है पति चार भाई थे समय के साथ परिवार में हिस्सा बाट हुआ पुराने घर से कुछ दूरी पर अपना मकान बना कर रहने लगे पर भाइयों का आपसी लगाव कम नही हुआ अब उर्मिला चार बेटे और एक बेटी की माँ बन चुकी थी पति चन्दर किसान थे अच्छी खेती थी गुजारा आराम से चल रहा था बड़ा बेटा पिता के कामो में हाथ बंटाने लगा, उसने अपनी पढ़ाई मिडिल से ही छोड़ दी थी, दूसरा बेटा प्रकाश पढ़ने में बहुत अच्छा था दोनों छोटे बेटे और बेटी भी स्कूल जाने लगे थे। प्रकाश जब मिडिल में गया तब दोनों पति पत्नी उसके आगे की पढ़ाई के लिए चिंतित रहने लगे कारण इसके बाद स्कूल ८ किमी दूर था शहर में जाना पड़ता था l माता पिता हमेसा अपने बच्चों के लिये अच्छा ही सोचते है पेट काटते है कपड़े फटे पहन लगे पर बच्चों को आगे बढ़ता देखना चाहेंगे।
परीक्षा होने वाली थी आगे की पढ़ाई कहाँ हो इस बारे में सोच विचार चल ही रह था कि जेठ जी का लड़का जो दूसरे प्रान्त में रहता था अपने परिवार के साथ गांव आ गया, उसने एक दिन अपने चाचा से कहा प्रकाश पढ़ने में बहुत होशियार है इसे मेरे पास भेज दो मै पढ़ा लिखा दूँगा l चन्दर बाबू कुछ न कह सके गिरीश को पत्नी चाची को समझाया यह स्कूल दूर है रोज शहर जाना बुरे लड़को की संगति में प्रकाश पड़ गया तो पढ़ नही पायेगा चाची सास और बहू को खूब पटाती थी, जब भी अति चाची के लिए कुछ न कुछ लाती और जब जाती तो चाची भी बहुत सारी चीजें विदाई में बांध देती गिरीश की बहू ने कहा मेरे बच्चे भी पढ़ने जाते है प्रकाश के साथ उनकी भी पढ़ाई में सुधार होगा। कौन माँ बाप अपने बच्चों से दूर होना चाहेगा पर पढ़ाई के नाम पर तय हुआ पहले परीक्षा परिणाम आ जाये तो देखा जाएगा, गिरीश ने कहा परिणाम पता ही है बस आप शुरू जुलाई में प्रकाश को लेकर आ जाये l
आज परीक्षा परिणाम घोषित होने वाला है गिरीश से छोटा भाई हरीश प्रकाश को बहुत मानता था दरअसल उसकी ही ये योजना थी कि प्रकाश को बाहर भेज कर पढ़ाया जाए वो खुद रोज प्रकाश को पढ़ाता था। उसने आकर बताया प्रथम श्रेणी में पास हो गया है प्रकाश, गिरीश १५ दिन रुके उसके बाद चले गए हरीश ने स्कूल जाकर टीसी लिया चूंकि एडमिशन दूसरे प्रान्त में होना था इसलिए जिला शिक्षाधिकारी के हस्ताक्षर कराना था स्कूल टीचर ने अगले हप्ते टीसी ले जाने को कहा।
आखिर वो दिन आ ही गया जब प्रकाश को पहुंचाने के लिए खुद चन्दर बाबू को जाना था, बेटे से विदा लेते माँ का कलेजा बाहर आ रहा था। प्रकाश भी बहुत रोया समान पैक हो गया बहुत ही गमगीन माहौल प्रकाश के मित्र उससे मिलने आये सबसे प्रिय मित्र अशोक फफक-फफक कर रो रहा था कारण दोनों हम उम्र, दोस्ती भी ऐसी की लोग मिसाल देते हरीश स्टेशन तक छोड़ने आया, आंखों में आंसू थे पर प्रकाश को खूब खुश रहने को बोल रहा था, रेलगाड़ी आ चुकी थी एक सीटी बजी और रेल गाड़ी छुक-छुक करती अपने गंतव्य की ओर बढ़ चली…….।
क्रमशः….

परिचय :- तेज कुमार सिंह परिहार
पिता : स्व. श्री चंद्रपाल सिंह
निवासी : सरिया जिला सतना म.प्र.
शिक्षा : एम ए हिंदी
जन्म तिथि : ०२ जनवरी १९६९
जन्मस्थान : पटकापुर जिला उन्नाव उ.प्र.

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…..🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *