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भारत अभिलाषित हिंदी

रेखा कापसे “होशंगाबादी”
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
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हिंदी भाषा से मिली, हिंद देश पहचान।
तनया संस्कृत की कहे, बढ़े जगत में शान।।
बढ़े जगत में शान, मनुज मुख सदा विराजे।
मिले विश्व सम्मान, हिंद का डंका बाजे।।
कुमुद कहे ज्यों होत, सुसज्जित माथे बिंदी।
भारत का अभिमान, सरल अभिलाषित हिंदी।।

हिंदी भाषा है सरल, कठिन इसे मत मान।
मौखिक वाचिक व्याकरण, कथन करें आसान।।
कथन करें आसान, छंद साधित अभिलाषा।
अलंकार रस छंद, विशेषण युत परिभाषा।।
कहे कुमुद शुचि श्रेष्ठ, स्वच्छ तटिनी कालिंदी।
जग जीवन आधार, कहे निज भाषा हिंदी।।

हिंदी व्यापक रूप में, धरे विश्व में पाँव।
अनुपम स्थापित कूप है, विद्वानों की छाँव।।
विद्वानों की छाँव, वृहद शाखा विन्यासित।
विविध सुत्र आधार, बनें साहित्य सुशासित।।
कुमुद लिखे शुभ ग्रंथ, करें शोभित नित बिंदी।
सुखद राष्ट्र अभिमान, हृदय में बसती हिंदी।।

हिंदी त्रेपन वर्ण कुल, बारह स्वर की रीस।
अनुस्वार दो साथ मिल, व्यंजन इकतालीस।।
व्यंजन इकतालीस, सभी जन समझो भाई।
रहता है उपवाक्य, वाक्य से निम्न इकाई।
फिर आता पदबंध, बाद पद अक्षर बिंदी।
ध्वनि है सबसे निम्न, यहीं उच्चारित हिंदी।।

हिंदी लेखन रूप में, कुल सत्तावन वर्ण।
बारह स्वर ध्वनि साधते, लेखन रुचिर सुपर्ण।।
लेखन रुचिर सुपर्ण, वर्णमाला शुचि बोधक।
व्यंजन पैतालीस, बनें स्वर लिपि मिल शोधक।।
रखें कुमुद हिय शब्द, हृदय निर्मल कालिंदी।
करें सुखद गुणगान, चलों अपनाए हिंदी।।

परिचय :- रेखा कापसे “होशंगाबादी”
निवासी – होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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