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चला आऊं शहर में तेरे

रामेश्वर दास भांन
करनाल (हरियाणा)
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तु कह दे तो मैं चला आऊं शहर में तेरे,
बुला तो सही एक बार मुझे शहर में तेरे,

मैं भी देखूं शान-ओ-शौकत शहर की तेरे,
मैं भी घुमू लूं गली-गली शहर की तेरे,

छोटा सा गांँव है मेरा बसता है दिल में मेरे,
निकल कर गांँव से अपने देख लूं शहर को तेरे,

चकाचौंध की जिंदगी सुनी है मैंने शहर की,
वो सब देख लूं आकर एक बार शहर में तेरे,

डर मुझे है लगता कहीं खो ना जाऊं भीड़ में,
तूं भी कहीं ना पहचाने मुझ को शहर में तेरे,

है रोशनाई मेरे गांँव के प्यार में ज्यादा,
देख लूं आकर आबोहवा शहर में तेरे,

यों ना कहना आया नहीं गांँव को छोड़ कर,
मिलने तुम से आ रहा हूंँ अब शहर मेेंं तेरे,

परिचय : रामेश्वर दास भांन
निवासी : करनाल (हरियाणा)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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