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नमन गजानन देवा

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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प्रथम पूज्य मंगल करते हैं,
श्री गणपति महाराज।
गौरी पुत्र गजानन स्वामी,
देवों के सरताज।

महादेव के पुत्र कहाते,
और षडानन भ्राता।
जो भी शरण तुम्हारी आता,
जन्म सफल हो जाता।

ऋद्धि सिद्धि प्राणों से प्यारीं,
मंगल ही करतीं हैं।
दीन दुखी सबके जीवन में,
खुशियाँ ही भरतीं हैं।

मूषक पर तुम सदा विराजित,
सदा सुमंगल करते।
ऋद्धि सिद्धि सबके जीवन में,
श्री गणेश जी भरते।

विद्या के सागर गणेश जी,
बुद्धि प्रदाता स्वामी।
सबके, मन की आप जानते,
तुम हो अंतर्यामी।

दूब फूल मेवा चढ़ता है,
रोली अक्षत न्यारा।
पार्वती, शिव, कार्तिकेय सँग,
है दरबार प्यारा।

मोदक का प्रसाद चढ़ता है,
चढ़े देव को मेवा।
सारे काम सफल होते हैं,
जो जन करते सेवा।

मोदक से मधुमेह उपजता,
श्री गणेश जी जानें।
चढ़ता है कपित्थ अरु जंबू,
है मधुमेह भगाने।

वैदिक में विज्ञान समाया,
गणपत की है पूजा।
सदा सर्वदा मंगल कर्ता,
और देव ना दूजा।

अनुनय विनय हमारी प्रभु जी,
चरण शरण की सेवा।
विघ्न मुक्त हो जाए दुनिया,
नमन गजानन देवा।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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