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हे वतन तुझको नमन

संजय कुमार नेमा
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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जब तक है जीवन, तिरंगा शान से फहराते रहें।
हमेशा तिरंगा उन्मुक्त गगन में, शान से लहराता रहे।

तीन रंगों से, रंगे मेरे तिरंगे की
आन-बान शान बनी रहे।

हमारा तिरंगा कभी झुके नहीं।।
हमेशा शान से लहराता रहे।

मौका मिला तो इसके लिए
मर मिट के दिखलाएंगे।

देश की सुरक्षा के खातिर शस्त्र उठायेंगे।
मेरे वतन का तिरंगा शान से लहराता रहे।

अभिलाषा मेरी तेरे कफन में
लिपट कर मुझे सीमा से लायेंगे।

यही है जुनून मेरा, देश के खातिर,
वीरगति पर फूलों के, अंकुरित पौधों से,
बने सुन्दर न्यारी प्यारी बगिया।

जिसे देख भारत माता के
सपूत हों शूरवीर अनेकों-अनेक।
मेरे वतन का तिरंगा लहराता रहे।

हे आखरी अभिलाषा, कभी कोई दुश्मन
सीमा रेखा के अन्दर ना आने पाये।।
नजर न उठाने पाये।

मेरे वतन के सीने पर
हमेशा तिरंगा लहराता रहें।

जन्मों तक वतन हो हिन्दुस्तान।।
हाथों मे तिरंगा शान से फैराता रहे।

नील गगन में विजयी तिरंगा
उन्मुक्त लहराता रहे।

परिचय :- संजय कुमार नेमा
निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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