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सनयास छंद

मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
जबलपुर (मध्य प्रदेश)
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सनयास छंद
विधान : वार्णिक छंद
१२ वर्ण
गण संयोजन : सगण नगण यगण सगण
११२ १११ १२२ ११२
चार चरण, दो-दो चरण समतुकांत।

जगपालक प्रभु स्वामी कहते।
उर में रघुवर मेरे रहते।।
मन मूरत बसती नाथ सुनो।
नित राघव जप लो राम गुनो।।

सुमिरो निशिदन तो मोक्ष मिले।
मन के उपवन में पुष्प खिले।।
रघुनाथ चरण में आज पड़ी।
अब दो दरशन मैं द्वार खड़ी।।

मनमोहक छवि प्यारी लगती।
विनती सुन प्रभु रातों जगती।।
तजदी अब सब माया सुन लो।
हितकारक प्रभु दासी चुन लो।।

परिचय :- मीना भट्ट “सिद्धार्थ”
निवासी : जबलपुर (मध्य प्रदेश)
पति : पुरुषोत्तम भट्ट
माता : स्व. सुमित्रा पाठक
पिता : स्व. हरि मोहन पाठक
पुत्र : सौरभ भट्ट
पुत्र वधू : डॉ. प्रीति भट्ट
पौत्री : निहिरा, नैनिका
सम्प्रति : सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश (मध्य प्रदेश), लोकायुक्त संभागीय सतर्कता समिति जबलपुर की भूतपूर्व चेयरपर्सन।
प्रकाशित पुस्तक : पंचतंत्र में नारी, काव्यमेध, आहुति, सवैया संग्रह, पंख पसारे पंछी
सम्मान : विक्रमशिला हिंदी विश्वविद्यालय द्वारा, विद्या सागर और साहित्य संगम संस्थान दिल्ली द्वारा, विद्या वाचस्पति की मानद उपाधि, गुंजन कला सदन द्वारा, महिला रत्न अलंकरण तथा कई अन्य साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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