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बारिश की बूँदें

शशि चन्दन
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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देखो धरा अम्बर से,
मिलन की गुहार लगाये,
थाल भर मोती माणिक
अम्बर ने खूब सजाये,
मन के आँगन बरस रही है
मीठी मीठी सी फुहार,
प्यासी धरा भी आँखें मींचे
आशा की झोली फैलाये।।

खुशियों भरी काग़ज़ की नाव
ग़मों को बहा ले जाए
देखो न बाल मन का कोना-कोना
कैसे खिलखिलाये,
छपाक छप, छपाक छप
बारिश का कंचन जल कहे,
भर लो अमृत चुल्लू में ज़िन्दगी
तो हरदम ही ज़हर पिलाये।।

खिली है हर कली कली,
पत्ता पत्ता भी मुस्काये,
नवल धवल हुए खेत खलियानशशि चन्द
देख कृषक गदगद हो जाये,
सौंधी सौंधी माटी, श्वास-श्वास
मातृभूमि के रक्षकों की महकाये,
बुलंद हौसलों की बारिश के बीच,
शान से तिरंगा लहराये।।

धानी चुनर ओढ़,
अधरों पर धर लाज का घूँघट,
सजनी चली साजन घर,
जब मन भावन सावन आये
प्रीतम ने अमियाँ की डाल पे
प्रेम पुष्पों का झूला डाला,
कृष्ण राधिका संग, बंसी की धुन पे
मधुर प्रेम राग गुनगुनाये।।

पीहू पीहू पपीहा बोले,
मोर झम झम नाचे,
कुहू कुहू बोले कोयलिया
काली झूमे हर्षाये और कह जाये
एक सच्चे भरोसे के बल पे,
जीवन जीने का देते उपदेश,
मेहनत और आत्मविश्वास की
मशाल ले सब चलते जाये।।

हे ईश्वर विनती है अबकि बरसात में,
मानस पटल पर,
बारिश की नन्ही नन्हीं बूँदें,
आकर कुछ यूँ ठहर जाये,
कि मन के द्वेष, ईर्ष्या, लोभ,
अंहकार सब धुल जाये,
प्रेम और भाई चारे की छत्रछाया में
सारा जग फिर समा जाये।।

परिचय :- शशि चन्दन
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
अपने शब्दों की निर्झर बरखा करने वाली शशि चन्दन एक ग्रहणी का दायित्व निभाते हुए अपने अनछुए अनसुलझे एहसासों को अपनी लेखनी के माध्यम से स्याह रंग कोरे कागज़ पर उतारतीं हैं, जो उन्हें खुशियों के आसमानी रंग देते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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