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दोस्ती की डोर

संजय कुमार नेमा
भोपाल (मध्य प्रदेश)

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दोस्ती की डोर थामे रखना।
दिल की बातें तुम हमारे दिल में बनाए रखना।
दोस्त वही शख्स होता है जिसे हम चुनते हैं।
दोस्ती को हमेशा इसी दुनिया में रचाते बसाते है।।
परिवार से मिला कर रखते है।

हे दोस्त मझसे संबंध बनाएं रखना।
मुझे सीने से लगाये रखना।।
मेरे दोस्तों ऐसा फूल सजाकर रखना।
हमेशा हंसी-खुशी, सुख-दुख में खुशबू देते रहना।
हे दोस्त खिलखिला कर साथ बनाये रखना।
मेरे दोस्त मुश्किलों में, साथ बनाएं रखना।
सच्ची दोस्ती, दोस्ती को जीवन भर
मिठाई सी मिठास बनाए रखना।।
दोस्ती की डोर थामे रखना।
अब मेरे तरह, तरह के जीवन के दोस्त।।
मेरे स्कूलों के दोस्त, कॉलेजों के दोस्त, मोहल्ले के दोस्त।
अपनी दोस्ती बनाए रखना।।
एक दूसरे का जीवन दीपक जलाए रखना। 🙏
दोस्ती की डोर बनाए रखना।

अब मेरी चिंताएं बढ़ी,मुलाकातें कम हो रही।
एक दूसरे के लिए प्रेम कम ना हो जाए।।
बनी रहे ये खट्टी मीठी यादें।।
मिलते ही ताजा हो जाएं।
मौका मिला तो तुम से मिलने जरूर आऊंगा ।।
हॉलिडे ट्रिप जरूर बनाऊंगा।
मिल बैठकर पुरानी यादें ताजी करवाऊंगा।।
नजदीकी का एहसास जरूर करवाऊंगा।
तुमको किस, करके गले से लगाऊंगा।।
प्यार से लबालब, लिखें खत, तुम्हें दिखलाऊंगा।
बीते दिनों की खुशनुमा यादें ताजा करवाऊंगा।
जब फोन मोबाइल नहीं थे तो गली मोहल्ले के
नुक्कड़ की बैठकें याद दिलवाऊंगा।
अच्छे दोस्त वही जो होते।।
जो सौ जन्मो मैं अपने भाग्य से पाते।
जब दोस्त मिलते तो दोस्तियां।
दोस्ती को जीवनकाल साथ निभायेंगे।

बरसों का अंतराल, जगह की दूरियां।
परंतु कभी दोस्ती का प्रगाढ़
संबंध न छूटेगी यह दोस्तियां।
एक बार हाथ बढ़ा दिया तो
मेरे दोस्त वक्त पर जरूर निभाएंगे।
मेरे दोस्तों मौका मिला तो कभी
भाभी बच्चों संग खुशियां, मनाने हर मौके पर,
खुशियां साथ जरूर मनाएंगे।
दोस्तों के संग खुशियां जरूर लुटाएंगे।
हे दोस्त दोस्ती की डोर बनाए रखना।
दोस्ती की डोर, थामे रखना।।
मित्रों एक दूसरे की डोर थामें रखना।

परिचय :- संजय कुमार नेमा
निवासी : भोपाल (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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