रेखा कापसे “होशंगाबादी”
होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
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मरहठा छंद
जग विश्व विजय का, राष्ट्र प्रणय का, अमर तिरंगा शान।
परचम लहराये, गौरव गाये, वीरों का बलिदान।।
घर-घर हो उत्सव, अमृत महोत्सव, जन-जन उर में गर्व।
पचहत्तर वार्षिक, अद्भुत कालिक, आजादी का पर्व।।है अंतस गंगा, सजे तिरंगा, घर -घर ध्वज प्रतिमान।
सैनिक बलिदानी,अमर कहानी,जन गण मन शुभ गान ।।
शुभ तीन रंग से, नव उमंग से, गौरव गाथा भान।
है श्वेत शांति का, हरित क्रांति का, केसरिया बलिदान।।जो नील चक्र है, मध्य वक्र है, नित विकास संचेत।
चतुर्विश तीलियाँ, धार्मिक गलियाँ, मनुज गुणी संकेत।।
शत गौरव गाथा, टेके माथा, मातृभूमि के अंक।
नित रक्त बहाते, प्राण चढ़ाते, राजन् हो या रंक।।मस्जिद गुरुद्वारे, मंदिर सारे, गिरिजाघर के संग।
घर-घर लहराये, नभ छू जाये, देशभक्ति के रंग।।
जन-जन का सपना, भारत अपना, बने विश्व सिरमौर।
हृद जात-पात के, शरण मात के, बचे न कोई ठौर।।जग जयचंदो को, कटु वृंदो को, प्रमुख पढ़ाए पाठ।
शुभ पथ अवरोधी, राष्ट्र विरोधी, खोले मन की गाठ।।
जन भ्रष्टाचारी, क्रूर प्रहारी, दानव रहे सतर्क।
यह भारत मेरा, अंत बसेरा, कड़वे देगा अर्क।।
परिचय :- रेखा कापसे “होशंगाबादी”
निवासी – होशंगाबाद (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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