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आजादी का अमृत महोत्सव

धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
बालोद (छत्तीसगढ़)
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घर-घर तिरंगा, हर-घर तिरंगा।
फहर-फहर फहराएं तिरंगा।।

तीन रंगों से निर्मित तिरंगा।
आन-बान-शान है इनके अंगा।।

सबसे ऊपर केसरिया कहलाएं,
शौर्य ,ताकत ,साहस दिखलाएं।
शांति और सत्य सफेद बतलाएं,
खुशहाली जीवन हरा परखाएं।।

बहाओ प्यारे विचारों की गंगा …
लहर-लहर लहराएं तिरंगा …

कुंठित विचार और त्यागो द्वेष,
ना रखें ईर्ष्या ना किसी से क्लेश।
सत्य व अहिंसा का पहनो भेष,
विश्व गुरु कहलाएं भारत देश।।

मन में उठे सद् विचार तरंगा …
डगर-डगर लहराएं तिरंगा …

युवा शक्ति अब जाग जाओ,
जात-पात का फंदा मिटाओ।
मानवता का संदेश बिखराओ,
नई-किरणें की उम्मीद जगाओ।

अमृत उत्सव का यही उमंगा …
शहर-शहर फहराएं तिरंगा …

आओ प्यारे अब देश सॅंवारें,
सादा जीवन उच्च विचारे।
देश-प्रेम सारे जग में पसारें,
माॅं भारती है वतन के दुलारे।

नवा अंजोर बिखेराएं संगा…
नगर-नगर फहराएं तिरंगा…

परिचय :- धर्मेन्द्र कुमार श्रवण साहू
निवासी : भानपुरी, वि.खं. – गुरूर, पोस्ट- धनेली, जिला- बालोद छत्तीसगढ़
कार्यक्षेत्र : शिक्षक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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