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स्नेह बंधन

संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
भोपाल (मध्यप्रदेश)

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आज रक्षाबंधन पर्व आया।
चहुँओर अपार छाया।
भाई बहनों उर उमंग लाया।
संपूर्ण भारत रक्षा बंधन पर्व मनाया।

रक्षाबंधन पर्व कोई बंधन नहीं।
भाई बहन स्नेह पर्व है,
एक छोटा सा रेशम धागा बांध।
बहन-भाई प्रति प्रेम कर बांधती।

भाई कलाई पर राखी बँधवा।
रक्षासूत्र भाई कलाई पर बाँधते ही।
भाई अभिभूत हो अनुभूत करता।
बहन रक्षा हर पल करना।

बहन अपने सर भाई स्नेह सदा।
पाने की आस कर रक्षाबंधन पर्व पर।
राखी भाई कलाई बांधने का हर संभव।
प्रयत्न कर आगे बढ़ती निरंतर।

भाई-बहन एक-दूजे प्रति अथाह स्नेह
सिंधु हिलौरे उर उपजाता।
बहन और भाई एक-दूजे मुख।
हर्षित उमंग संग एक-दूजे के अधरों।
पर मुस्कान लाता।

भाई-बहन के अंतस में प्रेम का।
झरना बहता जाता।
यही है रक्षाबंधन का पर्व।
स्नेह-बंधन से भर जाता।
जन्म संग जन्मों का स्नेह संगम हैं।

परिचय :- श्रीमती संगीता सूर्यप्रकाश मुरसेनिया
निवासी : भोपाल (मध्यप्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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