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मजबूरी

माधवी तारे
लंदन
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(सत्य घटना पर आधारित)
“बेटा मेरी उम्र अब ८०-८२ साल के ऊपर हो गई है शरीर भी दिन-ब-दिन थकता जा रहा है… और तू है कि सवेरे शाम धंधे में लगा रहता है। तेरे बेटा और बेटी भी नौकरी पानी के लिए दूर रहते हैं, तुम्हारी बेटी तो ससुराल में अपनी नौकरी और घर के कामकाज में व्यस्त रहती है तू रोज़ नौकर के हाथों जमा पूंजी और कमाए हुए रकम बैंक में भेजता रहता है तुमने बैंक में नॉमिनेशन करके रखा है कि नहीं? सुबह से रात के ८-९ बजे तक दुकान पर ही बैठा रहता है एकाध दिन फुर्सत निकालकर बैंक का काम जरूर कर लेना”
“हाँ माँ तू चिंता मत कर मेरा ध्यान है इस तरफ”
“बेटा, समय बताकर नहीं आता है, समझ रहा है ना”
“माँ मत घबरा मैं सब कर लूंगा” माँ का रोज-रोज कहना बेटे का हामी भरना ये सिलसिलेवार चलता रहा। एक दिन संध्या बेला थी, घर के पास धीरे-धीरे लोगों की भीड़ इकट्ठा होने लगी, आने के पहले ही तीन चार लोग बेटे को बेहोशी की अवस्था में घर की तरफ लेकर आ रहे थे पश्चात डॉक्टर भी आए, जांच की, और माँ को कहने लगे– “माताजी घबराइए नहीं, किसी के हाथ संदेश भेज इनके बेटे को बुला लेना”
डॉक्टर ने बाहर कदम रखा और बेटे ने अंतिम सांस ली। बूढ़ी माँ पर जैसे दुखों का पहाड़ गिर गया… पड़ोस के लोग आए भागदौड़ करके दूरभाष से पोते को खबर करवाई गई… हवाई जहाज से बेटा आ गया। चूंकि उसे अचानक ही आना पड़ा इसलिये उसे बहुत महंगे टिकट पर यात्रा करनी पड़ी पोते के पास उपलब्ध सारा धन उसी में खत्म हो गय।
सवेरा होने पर अंतिम यात्रा की व्यवस्था करने के लिए बूढ़ी माँ ने बैंक की पास-बुक और चेक बुक जो उसके पास रखी थी, अपने पोते को लाकर दी लोगों के आने से पहले पोता बैंक गया, कैश काउंटर पर लाइन में खड़ा रहा काउंटर की खिड़की के पास उसने चेक दिया लेकिन बैंक वाले ने उसको नकार दिया।
कहा– “इस पर अपने पिताजी के हस्ताक्षर और अंगूठा भी लगवा कर लाओ मेरी मजबूरी समझो, मुझे नौकरी भी संभालनी है”
वह चुप खड़ा रहा, कुछ बहस करने की स्थिति में नहीं था, बेटे के मुंह से पिता के निधन की बात नहीं निकल रही थी, वह काउंटर से हट गया चुपचाप घर गया।
रिक्शा बुलाई, पिता की लाश रिक्शा में डाली और बैंक आया काउंटर के पास खड़ा रहा और बोला- “यह लो पिताजी का अंगूठा लगा देता हूं … काउंटर पर बैठा कैशियर घबरा गया और मैनेजर के पास गया”
बैंक के सब लोग हक्केबक्के रह गए क्या करूं क्या ना करूं इस कशमकश में कैशियर बोला– “सर जो होना है होने दो पर मैं इस आदमी को पैसे दे देता हूं”
नौकरी की चुनौती पर मानवीयता की विजय हुई….

परिचय :- माधवी तारे
वर्तमान निवास : लंदन
मूल निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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