
सरला मेहता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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घटाएँ घिर आई
बदरा भी गरजे
चंचल चपला चमके
मेघा उमड़ पड़ेऐसे में आन मिले सनम
साँसों की गरमाई से
तेरी बाहों के घेरे में
शिकवे सारे बिखर गएइन रिमझिम बूंदों में
मिले तुम और हम
नज़रे जो टकराई
बदल गए नज़ारेभीगे भीगे मौसम में
अरमां बहके थे
किनारे दरिया के
दो दिल धड़के थेकश्ती के सफ़र में
शहनाई लहरों की गूंजी
शाम के इन लम्हों में
मुझे कुछ कहना हैउमंगों के गुबार
इजाज़त दे तो
हम अपनी बात
इक दूजे से कहेयूँ मेह क्या बरसा
सिफ़ारिशें बूंदों की
भा गई माही को
मन मयूर नाच उठा
परिचय : सरला मेहता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।
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