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सच्चे जीवनसाथी

हितेंद्र कुमार वैष्णव
सांडिया, पाली (राजस्थान)
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थामा तुम्हारा हाथ बड़े ही प्यार से,
दिल का रिश्ता जोड़ा विश्वास से,
सदा हाथ तुम थामे रखना दिल से,
मेरे मन के मीत, प्रीत हैं बस तुमसे,
जीवन का हर गीत तुम संग गाना हैं |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

जीवन की इस सुन्दर बगिया में,
तुम संग हर फूल को चुनना हैं |
जीवन पथ में हो कंकड़ कांटे
तो मिलकर हमको हटाना हैं |
तुम संग ही रिश्ता निभाना हैं |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

हम हैं प्यार के पंछी,
चुगकर लाएंगे एक एक तिनका
प्यार का घोंसला बनाएंगे,
चाहे हो आंधी और तूफान
प्रति क्षण तुम संग बिताना हैं |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

तुम संग हो जीवन का हर उत्सव,
चाहे हो दुखद पल
या हो सुख की अनुभूति
साथ दूंगा आपका हर पल
जीवन के संगीत को तुम संग गुनगुनाना हैं |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

तुम संग बीते जीवन का हर बसंत,
कभी ना हो काँटों का सामना,
रंग बिरंगे फूलो की तरह,
तुम संग सदा जीवन महकता रहे
प्रति क्षण तुम संग मुस्कराना हैं |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

हर जनम हो तुम संग रिश्ता मेरा
आपके हाथों की मेहंदी में,
मेरा नाम तुम्हारे हाथों सजता रहे
रिश्ते में मधुरता और सम्मान हो
खुशियों का संसार तुम संग ही बसाना है |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

छोड़कर तुम अपने बाबुल का घर,
घर मेरा रोशन करती हो |
करती हो तुम मेरे माँ बाप की सेवा,
घर परिवार को संभालती हो तुम,
तुम्हे पाना मेरे जीवन का अनमोल खजाना हैं |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको,
इस रिश्ते को निभाना हैं।

जब भी रहु हर पल उदास में,
छोड़कर तुम खुशिया अपनी,
तुम मेरे संग मुस्कराती हो,
पुरे घर में खुशहाली छा जाती है |
तुम संग जीवन का मौसम सुहाना है |
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

विश्वास की अटूट डोर कभी ना टूटे
चाहे कितनी समस्या हो विकट
साथ आपका मेरा कभी ना छूटे
तुम संग ही खुशियों का संसार बसाना हैं
बनकर “सच्चे जीवनसाथी” हमको
इस रिश्ते को निभाना हैं।

परिचय :- हितेंद्र कुमार वैष्णव
शिक्षा : बी.ए
सम्प्रति : एसईओ, इंटरनेट मार्केटिंग मैनेजर
निवासी : ग्राम – सांडिया, जिला : पाली (राजस्थान)
विधा : कविता सर्जन
शपथ : मेरे द्वारा यह प्रमाणित किया जाता है कि मेरी यह रचना पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं।


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