हरिदास बड़ोदे “हरिप्रेम”
गंजबासौदा, विदिशा (मध्य प्रदेश)
********************
एक तू…, बस तू…, सिर्फ तू…, है मेरी जां…,
एक तू…, बस तू…, सिर्फ तू…, है मेरी जां…।
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां,
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां।
“एक तू मेरी जां…, बस तू धड़कन…,
सिर्फ तू है जहां…।”
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां,
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां।
तू मेरा जहां…।।दुआं मैं करूं, जुदां मेरी जां, सिर्फ तू है, जहां से,
जी ना सकूं, बिन तेरे जहां, लग जा गले, प्यार से।
जो तू नही, तो मैं नही, जो तू नही, तो मैं नही,
आज तू कहां…, कल तू वहां…,
दिल-ए-जवां…, तू मेरा जहां…।
“एक तू…, बस तू…, सिर्फ तू…, है मेरी जां…।”
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां,
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां।
तू मेरा जहां…।।सुना ऐ जहां, तू जानले, मेरे हमसफर, तू देर ना कर,
ऐ जिंदगी, एक आरजू, तू ही चाहत, मेरी मंजिल।
जो तू नही, तो मैं नही, जो तू नही, तो मैं नही,
तुझे ढुंढु कहां…, तू छिपा है वहां…,
हम साथ हैं जहां…, तू मेरा जहां…।
“एक तू…, बस तू…, सिर्फ तू…, है मेरी जां…।”
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां,
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां।
तू मेरा जहां…।।हम-दम मेरे, आ पास आ,
सारी दुरियां है, ऐ दिल खुला,
सुन जाने जां, अब देर ना कर,
तू ही किस्मत, सारे गम भुला।
जो तू नही, तो मैं नही, जो तू नही, तो मैं नही,
तू है जहां…, मैं भी वहां…,
तू पास है यहां…, तू मेरा जहां…।
“एक तू…, बस तू…, सिर्फ तू…, है मेरी जां…।”
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां,
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां।
तू मेरा जहां…।।“एक तू मेरी जां…, बस तू धड़कन…,
सिर्फ तू है जहां…।”
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां,
तू मेरी है धड़कन, तू मेरा जहां।
तू मेरा जहां…।।
परिचय :- हरिदास बड़ोदे “हरिप्रेम”
निवासी : गंजबासौदा, जिला- विदिशा (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻
आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 hindi rakshak manch 👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.