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ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा

प्रेम नारायण मेहरोत्रा
जानकीपुरम (लखनऊ)
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आज ब्रम्हमुहूर्त की हनुमत्कृपा।
अगर सोते जगते है प्रभु याद आता,
तो समझो कि भक्ति पनपने लगी है।
तेरा मन भी यदि प्रभु में रमने लगा है,
तो ईश्वर की करुणा बरसने लगी है।
अगर सोते जगते…….
तू प्रभु नाम सुमिरन की आदत बना ले,
स्वयं होगा अनुभव,है ये मन को भाया।
तू प्रभु दर को अपने कदम दो बढ़ा ले,
तू देखेगा वो ,चार पग दौड़ आया।
प्रभु से तेरी प्रीति बढ़ने लगी तो,
जगत माया खुद ही सिमिटने लगी है।
अगर सोते जगते…..
तुझे प्रभु ने भेजा है,सृष्टि सृजन मिट,
मगर मुख उद्देश्य है प्रभु का सुमिरन।
जगत कार्य हाथों से करता रहे पर,
तेरे मन मे होता रहे प्रभु समर्पण।
तू पतवार को सौप दे यदि प्रभु को,
तो नैय्या भँवर में भी चलने लगी है।
अगर सोते जगते……..
अगर भूल उद्देश्य माया में चिपका,
तो ईश्वर की करुणा को तूने गँवाया।
जब अंतिम समय जग से जाने लगेगा,
नहीं काम आएगा जो धन कमाया।
मगर अंत मे याद आयेंगी भूलें,
तू देखेगा आत्मा तड़पने लगी है।
अगर सोते जगते…….

परिचय :- प्रेम नारायण मेहरोत्रा
निवास : जानकीपुरम (लखनऊ)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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