Saturday, November 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

कोई तो चीत्कार सुने उसकी

अशोक पटेल “आशु”
धमतरी (छत्तीसगढ़)
********************

भरी बरसात के मौसम में भी
नदियाँ वीरान सी लगती है
कोई तो चीत्कार सुने उसकी
वह खाली-खाली लगती है।

सारी नदियाँ दूर-दूर तलक
बंजर जमीन सी लगती है
बन गई शहर का कूड़ादान
इसे देख नदियाँ सिहरती है।

आज नदियाँ मैली लगती है
नाली सी वह काली हो गई
गंदे पानी से हुई वह कुत्सित
मीठे जल से वंचित हो गई।

सारे घाटों का बंदरबाट हुआ
सुना-सुना पनघट घाट हुआ
सब जीव-जंतु पानी को तरसे
पूरी नदियाँ श्मशान घाट हुआ।

यह नदियाँ हमेशा चीख रहीं
कोई तो उसकी पुकार सुनो
गङ्गा की तरह यह भी लहराए
कोई तो उसकी गुहार सुनो।

परिचय :अशोक पटेल “आशु”
निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *