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सु-स्वागतम्

राम स्वरूप राव “गम्भीर”
सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश)

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आओ तुम्हारा स्वागत करते,
वर्षा रानी आओ ना।
तप्त हुआ धरती का कण-कण,
तृप्त करो सरसाओ ना।
पत्ता-पत्ता कुम्हलाया है,
मुरझाया जन-जन का तन मन।
सर सूखे सरितायें सूखी,
राह तकें कब बरसेंगे घन।
सरितायें तट तोड़ बहें तुम,
इतना जल बरसाओ ना।
आओ तुम्हारा स्वागत करते ,
वर्षा रानी आओ ना।।

खेतों में फसलें लहरायें,
पत्ते हर्षायें पेड़ों पर,
चिड़ियाँ चहके भंवरे गाएं
पशुधन उदर भरे मेंड़ों पर।
हरी भरी धरती हो जाए,
अमृत सा जल लाओ ना।
आओ तुम्हारा स्वागत करते,
वर्षा रानी आओ ना।।

बादल भी आतें हैं घिर-घिर,
और घटाएं आतीं काली,
किन्तु यहाँ कुछ ध्यान न देते,
नहीं बहाते छानी नाली।
हम तो हैं दर्शन को आतुर हैं
तुम “गम्भीर” हो जाओ ना।
आओ तुम्हारा स्वागत करते,
वर्षा रानी आओ ना।।

परिचय :- राम स्वरूप राव “गम्भीर” (तबला शिक्षक)
निवासी : सिरोंज जिला- विदिशा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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