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इंद्रधनुष की छटा निराली

अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
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आया है बरसा का मौसम,
हरियाली छाई है।
प्रकृति मनोहर लगती प्यारी,
सबके मन भाई है।

धूप निकलती, वर्षा होती,
इंद्रधनुष तब बनता।
सूर्य रश्मियाँ जब बिखेरता,
तब प्रकाश है छनता।

शुरू बैगनी रँग से होकर,
लाल रंग तक जाता।
शेष बचे हिस्से में देखो,
रँग प्रत्येक समाता।

सातों रँग आपस में मिलकर,
प्यारा धनुष बनाते।
बालक, युवा, वृद्धजन इसको,
देख देख हर्षाते।

इंद्रधनुष की छटा निराली,
सब को मोहित करती।
सतरंगी यह दृश्य मनोहर,
अनुपम छटा उभरती।

यह अनुपम उपहार प्रकृति का,
मानव बना न पाया।
बारिश के मौसम में अद्भुत,
एक नजारा छाया।

कभी-कभी घर के पिछवाड़े,
इंद्रधनुष बन जाता।
लगता वह नयनाभिराम है,
रंग बिरंगा छाता।

जब भी बनता आसमान में,
लगता बड़ा सुहाना।
बच्चे गा-गा कर कहते हैं,
मेरे घर आ जाना।

परिचय :अंजनी कुमार चतुर्वेदी
निवासी : निवाड़ी (मध्य प्रदेश)
शिक्षा : एम.एस.सी एम.एड स्वर्ण पदक प्राप्त
सम्प्रति : वरिष्ठ व्याख्याता शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय क्रमांक २ निवाड़ी
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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