Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

मेरे प्यारे पापा

डॉ. अर्चना मिश्रा
दिल्ली

********************

एक अनंत अंतहीन
यात्रा पर निकले
छोड़ गए पूरा संसार।
माँ की आँखे हे अश्रूपूरित,
भैया करें गुहार।
पापा तुम बिन पग
कैसे रखूँ, जीवन
नैय्या बहुत कठिन।
स्मृतियों में हे
चित्र अंकित, पर
वास्तविकता में कहीं नहीं।
पग-पग जिसने
होसला बढ़ाया,
दी हरदम ही सींख।
आँखे मेरी हरदम भीगी,
करती रहती एक ही मनुहार।
जो होते तुम पापा,
यूँ ना बिखरता माँ का संसार।
कदम कदम मुझको ज़रूरत
अब कौन करायेगा नैय्या पार।
जीवन की राह बहुत कठिन
इन संघर्षों में कौन
थामेगा मेरा हाथ।
करती रहती थी शैतानी,
बात कभी भी ना मानी।
अब बहुत याद आते हो पापा,
अब किसको बोलूँ में पापा,
लौट के आ जाओ ना पापा।
पापा तुम हो गए छोड़ के
अपना संसार,
जीवन जैसे थम ही गया है,
नहीं होता अब रक्त संचार।
मन बहुत व्यथित है,
करुणा करता बारमबार।
पापा ही तो सब कुछ थे,
पापा ही थे मेरा संसार।

परिचय :-  डॉ. अर्चना मिश्रा
निवासी : दिल्ली
प्रकाशित रचनाएँ : अमर उजाला काव्य व साहित्य कुंज में रचनाएँ प्रकाशित।
आपका रुझान आरम्भ से ही हिंदी की ओर था अपने स्कूल व कॉलेज के दिनो से ही मेआपने लेखन का कार्य शुरू कर दिया था। आपने अधिकतर रचनायें कविता एवं लेख के रूप में लिखी है। आपने हिंदू कॉलेज दिल्ली से हिंदी विषय से ही अपनी बीए एमए किया तत्पश्चात् बीएड और एमएड किया। साथ ही साथ आपने काउंसलिंग एंड गाइडेंस का भी कोर्स किया।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *