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अग्निपथ

आनंद कुमार पांडेय
बलिया (उत्तर प्रदेश)
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अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।

देश के रक्षक बनेंगे,
स्वप्न हैं दिल में संजोए।
फिर क्यों ऐसी अग्नि भड़की,
क्यों ये नफरत बीज बोए।।
अग्निपथ के मार्ग में,
बाधक बनें ये बाल क्यों हैं।
अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।

रो रही माॅ भारती अब,
कह रही ऑचल पसारे।
मेरी रक्षा कब करोगे,
जब हो तू खुद से हीं हारे।।
अपने हीं लोगों पर चल,
तलवार होता लाल क्यों है।
अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।

रो पड़ी है कलम मेरी,
लिखते हुए इस वेदना को।
क्यों सुलाए हैं ये मेरे,
वीर अपनी चेतना को।।
आनन्द तेरे देश में,
ये आ रहा भूचाल क्यों है।
अग्नि का तांडव मचा है,
जंग का ये हाल क्यों है।
देश के अंदर बिछा,
आतंक जैसा जाल क्यों है।।

परिचय :- आनंद कुमार पांडेय
पिता : स्व. वशिष्ठ मुनि पांडेय
माता : श्रीमती राजकिशोरी देवी
जन्मतिथि : ३०/१०/१९९४
निवासी : जनपद- बलिया (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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