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शीतल किया

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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देखो बदल छा रहे
बरसने के लिए।
बदल गरजने लगे
सतर्क करने ले लिए।
मेघ मलारह गाने लगे
अब वर्षा के लिए।
भूमि जो प्यासी है
पानी के लिए।।

आस लगाये पानी की बैठे
नदी तलाब और जमीन।
कब होगी अब वर्षा
बतला दो इंद्रदेव तुम।
जैसे ही गिरती है
बूंदे पानी की।
सेन्धी सेन्धी खूशबू
आने लगती है।।

चारों तरफ छाने लगी
हरियाली और ठंडक।
पेड़ पौधे फूल पत्तीयां
सब खिल उठे।
गाँव शहर का भी
माहौल बदल गया।
अमल कमल से चेहरे
सब के खिल उठे।।

एक पानी की बूंद से
क्या क्या देखो बदला।
बिन पानी के जैसे
कितने वो शून्य थे।
पानी की बूंदों ने
कितनो का जीवन बदला।
गर्मी से देखो सबको
शीतल शीतल कर दिया।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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