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पर्यावरण दिवस

डॉ. अर्चना मिश्रा
दिल्ली

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हम चारों तरफ से आवरण से घिरे रहते हैं उस प्राकृतिक तत्व को पर्यावरण कहा जाता है। यह प्राकृति तत्व ही जीवन की संभावना का निर्माण करता है। इसमें हवा, पानी, धरती, आकाश, प्रकाश, पेड़, पशु, पक्षी सभी सम्मिलित हो जाते हैं। पृथ्वी एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन की संभावना है और इसी जीवन के अस्तित्व को सुरक्षित रखने के लिए पर्यावरण अति आवश्यक हो जाता है। प्रत्येक वर्ष ५ जून को पूरा विश्व पर्यावरण दिवस मनाता है। यह पर्यावरण के संरक्षण हेतु एक अभियान है।

पर्यावरण दिवस के अवसर पर पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव डालने वाले तत्वों को रोकने का संकल्प लिया जाता है। पर्यावरण दिवस मनाने की शुरुआत इस उद्देश्य के साथ की गई थी कि वातावरण की स्थितियों पर इस दौरान ध्यान केंद्रित किया जा सकेगा और भविष्य में भी पृथ्वी पर सुरक्षित जीवन की सुनिश्चित किया जा सकेगा। पर्यावरण दिवस का उद्देश्य प्राणियों में सकारात्मक बदलाव लाना है और पर्यावरण की रक्षा के लिए उन्हें प्रेरित करना है।

वर्ष १९७२ में संयुक्त राष्ट्र द्वारा मानव पर्यावरण विषय पर संयुक्त राष्ट्र महासभा का आयोजन किया गया था। इसी चर्चा के दौरान विश्व पर्यावरण दिवस का सुझाव भी दिया गया और इसके दो साल बाद, ५ जून १९७४ से इसे मनाना भी आरम्भ कर दिया गया। १९८७ में इसके केन्द्र को बदलते रहने का सुझाव सामने आया और उसके बाद से ही इसके आयोजन के लिए अलग अलग देशों को चुना जाता है। इसमें हर साल १४३ से अधिक देश भाग लेते हैं और इसमें कई सरकारी, सामाजिक और व्यावसायिक लोग पर्यावरण की सुरक्षा, समस्या आदि विषय पर बात करते हैं।

पर्यावरण का मूल विषय
विश्व पर्यावरण दिवस २०२२ का मूल विषय ”ओनली वन अर्थ” यानी केवल एक पृथ्वी है। इस थीम के आधार पर ‘प्रकृति के साथ सद्भाव में रहना’ पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
२०२२ में ५ जून (रविवार) को ४८वां विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जा रहा है, इस साल मेजबान देश के तौर पर ‘स्वीडन‘ को चुना गया है, और इसे ‘केवल एक पृथ्वी‘ (ओनली वन अर्थ) थीम के साथ मनाया जा रहा है, यह नारा प्रकृति के साथ सद्भाव में रहने पर ध्यान केंद्रित करता है।
वर्ष २०२२ मानव पर्यावरण पर पहले संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के ५० वर्ष पूरे होने का प्रतीक है, जब १९७२ में स्टॉकहोम सम्मेलन हुआ, जिसमें यूएनईपी की स्थापना और ५ जून को वर्ल्ड एनवायरनमेंट डे के रूप नामित किया गया।

आज की परिस्थिति को देखते हैं तो ऐसा प्रतीत होता है कि जिस प्रकार से कोरोना वायरस जिसे हम कोविड-१९ के नाम से भी जानते हैं । यह वायरस पूरे विश्व की वैश्विक अर्थव्यवस्था को चौपट कर दिया है। क्योंकि कहीं ना कहीं हम पर्यावरण से छेड़छाड़ कर रहे कोविड-१९ का उद्गम स्थान तो हम सभी को विदित हैं ही। जिसे आज हम चाइना प्रोडक्ट के नाम से भी जानते हैं। इस महामारी ने पूरे विश्व को शिक्षा दे दी है कि जब भी कोई पर्यावरण के साथ छेड़छाड़ करेगा तो पर्यावरण उसका भरपाई पूरे विश्व के जनमानस से लेगा। पर्यावरण दिवस २०२२ को पूरे विश्व में बड़े उल्लास के साथ मनाया जाना चाहिए ताकि हम पर्यावरण को संरक्षण करने के साथ-साथ संभावित पर्यावरण से संबंधित गंभीर समस्याओं का निदान कर पाए।

परिचय :- डॉ. अर्चना मिश्रा
निवासी : दिल्ली
प्रकाशित रचनाएँ : अमर उजाला काव्य व साहित्य कुंज में रचनाएँ प्रकाशित।
आपका रुझान आरम्भ से ही हिंदी की ओर था अपने स्कूल व कॉलेज के दिनो से ही मेआपने लेखन का कार्य शुरू कर दिया था। आपने अधिकतर रचनायें कविता एवं लेख के रूप में लिखी है। आपने हिंदू कॉलेज दिल्ली से हिंदी विषय से ही अपनी बीए एमए किया तत्पश्चात् बीएड और एमएड किया। साथ ही साथ आपने काउंसलिंग एंड गाइडेंस का भी कोर्स किया।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

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