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नोंच लो जितना चाहों तुम

आनंद कुमार पांडेय
बलिया (उत्तर प्रदेश)
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नोंच लो जितना चाहों तुम दोनों हमें,
नोंचने से न ममता घटेगी मेरी।

नोंचने से ये मतलब तनिक भी नहीं,
नोंचना तो तु सारा बदन नोचना।
कुछ भी करना है तुझको आजादी पूरी,
गलती हो तुझसे तो खुद को हीं कोसना।
अश्क आंखों में भरकर करूं मिन्नतें,
तुझसे नजरें कभी ना हटेगी मेरी।
नोंच लो जितना चाहो तुम दोनों हमें,
नोंचने से न ममता घटेगी मेरी।

तेरे हीं वास्ते मेरा जीवन भरा,
है तेरे हीं लिए मेरा हर माजरा।
तेरे बिन अब गुजारा तनिक भी नहीं,
तु हीं पहली डगर और डगर आखिरी।
नोंच लो जितना चाहो तुम दोनों हमें,
नोंचने से न ममता घटेगी मेरी।

इक मेरा लाडला इक जीवन संगीनी,
चांह कर भी नहीं हो कभी फासला।
प्रेम से बढ़कर कुछ भी जहां में नहीं,
मिलती इतनी खुशी विघ्न सारा टला।
नोंच लो जितना चाहो तुम दोनों हमें,
नोंचने से न ममता घटेगी मेरी।

लिखते आनंद की है कलम रो रही,
जल रहा आदमी से यहाँ आदमी।
आज का दौर इतना भयावह बना,
क्या पता कब टूटे जिंदगी की कड़ी।
नोंच लो जितना चाहो तुम दोनों हमें,
नोंचने से न ममता घटेगी मेरी।

परिचय :- आनंद कुमार पांडेय
पिता : स्व. वशिष्ठ मुनि पांडेय
माता : श्रीमती राजकिशोरी देवी
जन्मतिथि : ३०/१०/१९९४
निवासी : जनपद- बलिया (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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